Holy Books

13 May 2020

नास्तिकता और भगति


नास्तिकता 
नास्तिक वह होता है जो इस सृष्टि करने वाले परमात्मा के विधान तथा संचालन और नियंत्रण करने वाले किसी भी ईश्वर के अस्तित्व को सर्वमान्य प्रमाण के न होने के आधार पर स्वीकार नहीं करता।
नास्तिक लोग ईश्वर (भगवान) के अस्तित्व का स्पष्ट प्रमाण न होने कारण झूठ करार देते हैं। अधिकांश नास्तिक किसी भी देवी देवता, परालौकिक शक्ति, धर्म और आत्मा को नहीं मानते। हिन्दू दर्शन में नास्तिक शब्द उनके लिये भी प्रयुक्त होता है जो वेदों को मान्यता नहीं देते। नास्तिक मानने के स्थान पर जानने पर विश्वास करते हैं। वहीं आस्तिक किसी न किसी ईश्वर की धारणा को अपने संप्रदाय, जाति, कुल या मत के अनुसार बिना किसी प्रमाणिकता के स्वीकार करता है। नास्तिकता इसे अंधविश्वास कहते है क्योंकि किसी भी दो धर्मों और मतों के ईश्वर की मान्यता एक नहीं होती है। नास्तिकता रूढ़िवादी धारणाओं के आधार नहीं बल्कि वास्तविकता और प्रमाण के आधार पर ही ईश्वर को स्वीकार करने का दर्शन है। नास्तिकता के लिए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करने के लिए अभी तक के सभी तर्क और प्रमाण अपर्याप्त है।
भगति 
सतभक्ति से सर्व कष्ट, दुख दूर होते हैं ।
सतभक्ति करने से जीवन सुखी हो जाता है। पापों से बचाव होता है, गृह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।

सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है

सतभक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहती है।

सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।

सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।

अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल देखिए शाम को 7.30 से 8.30 बजे तक। 

www.jagatgurusaintrampalji.org

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