"मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है"
कबीर साहेब जी कहते हैं..
"दिन को रोजा रहत हैं, रात हनत हैं गाय।
यह खून वह वंदगी, कहुं क्यों खुशी खुदाय।"
परमात्मा कबीर जी कहते है कि मुस्लिम जन दिन में तो रोजा रखते है और रात में गाय का मांस खाते है। यह तो एक जीव हत्या है यह अल्लाह की बन्दगी अर्थात इबादत नहीं है तो फिर परमात्मा इससे खुश कैसे होगा ??
यह सब अज्ञानी मुल्ला काजियों ने पवित्र मुस्लिम धर्म को गुमराह किया है
हजरत मोहम्मद ने अपने जीवन मे कभी भी मांस नहीं खाया और न ही अपने अनुयायियों को मांस खाने का आदेश दिया। हजरत मोहम्मद और अन्य नबियों ने ना कभी बकरीद मनाई ना कोई जीव हत्या की तो फिर मुस्लिम धर्म इन महापुरुषों की आड़ में जीव हत्या करके मांस क्यों खा रहा है ??
इसी प्रकार कुरान शरीफ सूरत फुरकानि 25 आयात 52, 58, 59 में प्रमाण है कि अल्लाह तआला कबीर है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा। उस अल्लाह की सम्पूर्ण जानकारी किसी बाख़बर से पूछो।
क्या इन मुल्ला काजियों को अल्लाह कबीर की जानकारी है...
अगर नही है तो इस सच्चाई से पवित्र मुस्लिम धर्म को गुमराह क्यो किया गया??
अब भी समय है नकली मुल्ला काजियों के अज्ञान का विरोध करो
क्योंकि
सच्चा बाख़बर संत केवल जगत गुरु रामपाल जी महाराज हैं जो सभी धर्मशास्त्रों का सत् ज्ञान बता रहे है।
मुस्लिम धर्म और कुराने पाक की यथार्थ जानकारी के लिए देखे--
"साधना चैनल" पर शाम को 7:30 से 8.30 बजे तक।
www.jagatgurusaintrampalji.org
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